सनातन धर्म में आषाढ़ मास का विशेष महत्व होता है। यह महीना न केवल धार्मिक रूप से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत पवित्र माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में आषाढ़ मास की शुरुआत 12 जून से हो रही है और इसका समापन 11 जुलाई को होगा। इस माह में वर्षा ऋतु का आरंभ होता है और प्रकृति में भी व्यापक परिवर्तन दिखाई देते हैं।
आषाढ़ मास भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। इस दौरान उनकी आराधना से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। खासकर देवशयनी एकादशी, जो इस महीने आती है, उस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और चातुर्मास की शुरुआत होती है। यह चार महीने का समय तप, साधना, व्रत, संयम और भक्ति का काल होता है।
आषाढ़ मास में क्या करें:
भगवान श्री हरि विष्णु की विधिवत पूजा करें।
गुरु पूर्णिमा का पर्व इस माह में आता है। इस दिन अपने गुरु का सम्मान करें।
इस माह में दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। जल, छाता, वस्त्र और भोजन का दान अवश्य करें।
भागवत कथा, विष्णु सहस्रनाम और व्रत आदि धार्मिक कृत्य करने से विशेष लाभ मिलता है।
इन बातों से बचें:
आषाढ़ माह से शुरू होने वाले चातुर्मास में मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि से परहेज करना चाहिए।
इस महीने मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का त्याग करें।
झूठ बोलना, धोखा देना, चोरी जैसे पापकर्मों से दूर रहें।
वृक्षों की कटाई और अनावश्यक हिंसा से परहेज करें।
इस माह का हर दिन साधक को आत्मशुद्धि, संयम और श्री हरि विष्णु की शरण में जाने का अवसर देता है। अगर आप नियमपूर्वक पूजा-अनुष्ठान और संयम रखते हैं तो निश्चित ही भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करते हैं।