हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध पौंग झील में 16 जून से लेकर 15 अगस्त तक मछलियों के शिकार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। यह कदम मत्स्य प्रजनन काल को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से उठाया गया है, ताकि झील की जैव विविधता बनी रहे और मछलियों की संख्या में वृद्धि हो सके।

इन दो महीनों को मछलियों के प्रजनन का सबसे संवेदनशील समय माना जाता है, इसीलिए मत्स्य विभाग ने यह सख्त कदम उठाया है। इस दौरान झील में कोई भी व्यक्ति मछली पकड़ता हुआ पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

24 घंटे निगरानी

अवैध मछली शिकार को रोकने के लिए विभाग ने 17 विशेष निगरानी टीमों का गठन किया है। ये टीमें झील के चारों ओर 24 घंटे गश्त करेंगी। टीमें मोटरसाइकिल, पैदल फ्लाइंग स्काउट्स और मोटरबोट के माध्यम से गश्त करेंगी, ताकि कोई भी अवैध गतिविधि सामने आते ही तत्काल कार्रवाई हो सके।

टीम में कौन-कौन?

इन टीमों में मत्स्य विभाग के नियमित कर्मचारी तो होंगे ही, साथ ही मत्स्य सहकारी सभा के सदस्य भी सक्रिय भागीदारी निभाएंगे। इनका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक प्रजनन प्रक्रिया की रक्षा करना है ताकि आने वाले समय में भी पौंग झील में मछली की प्रचुरता बनी रहे।

मछली प्रेमियों को इंतजार करना होगा

जो लोग झील की ताजी मछलियों के स्वाद के दीवाने हैं, उन्हें अब 16 अगस्त तक इंतजार करना होगा। तब तक किसी भी होटल, दुकान या रेस्तरां में झील की ताजा मछली मिलना संभव नहीं होगा। यह रोक झील के आसपास के सभी क्षेत्रों में लागू है।

सख्त कार्यवाही

विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति इस प्रतिबंध का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी। साथ ही जुर्माना और उपकरण जब्त करने जैसी सजा भी दी जा सकती है।

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