भारत में कॉल रिकॉर्डिंग को लेकर कई लोग अनजान हैं कि बिना अनुमति के किसी की बातचीत रिकॉर्ड करना एक गंभीर गैरकानूनी कार्य है। यह न केवल किसी व्यक्ति की निजता (Privacy) का उल्लंघन करता है, बल्कि इसके लिए आपको कानूनी सजा भी मिल सकती है।
1. निजता का अधिकार (Right to Privacy)
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 हर नागरिक को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में अपने ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि Right to Privacy मौलिक अधिकार है। किसी व्यक्ति की बिना इजाज़त कॉल रिकॉर्ड करना इस अधिकार का सीधा उल्लंघन है।
2. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act, 2000)
आईटी एक्ट की धारा 72 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी की निजी जानकारी या कॉल रिकॉर्डिंग को उसकी अनुमति के बिना प्राप्त करता है और उसका गलत उपयोग करता है (जैसे ब्लैकमेल या सार्वजनिक करना), तो उसे:
2 साल तक की जेल
या ₹1 लाख तक का जुर्माना
या दोनों हो सकते हैं।
3. भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885
यह अधिनियम केवल सरकार को विशिष्ट परिस्थितियों में कॉल रिकॉर्डिंग की अनुमति देता है। अनधिकृत कॉल टैपिंग इस अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है।
4. मानहानि के मामले (Defamation)
अगर कोई कॉल रिकॉर्डिंग पब्लिकली शेयर की जाती है और उस व्यक्ति की प्रतिष्ठा को हानि पहुंचती है, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का मुकदमा भी किया जा सकता है।
5. कोर्ट में स्वीकार्यता
बिना अनुमति की कॉल रिकॉर्डिंग को अदालत में साक्ष्य के रूप में मान्यता मिलना कठिन है, क्योंकि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है। हाँ, कुछ विशेष मामलों में यदि यह साबित हो जाए कि रिकॉर्डिंग में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है, तब अदालत उसे इलेक्ट्रॉनिक सबूत के रूप में स्वीकार कर सकती है।
कानूनी कार्रवाई कैसे करें?
पीड़ित व्यक्ति FIR दर्ज करवा सकता है।
मानवाधिकार आयोग या हाई कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है।
हर्जाने के लिए सिविल मुकदमा भी किया जा सकता है।