ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 का पावन दिन हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व रखता है। इस दिन जम्मू स्थित तवी रिवर फ्रंट पर बाबा अमरनाथ की प्रथम पूजा बड़े विधि-विधान से आयोजित की गई। यह आयोजन विश्व हिंदू परिषद (VHP) के तत्वावधान में संपन्न हुआ। इस पूजा के साथ ही अमरनाथ यात्रा 2025 की धार्मिक शुरुआत हो गई।
इस पावन अनुष्ठान में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा विशेष रूप से उपस्थित रहे, जो श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं। पूजा स्थल पर माता भावे वाली की उपस्थिति में विधिपूर्वक भगवान शिव का पूजन किया गया। त्रिकूट पर्वत और रघुनाथ मंदिर के दर्शन कर माता वैष्णो देवी के आशीर्वाद से इस यात्रा की शुरुआत हुई।
इस वर्ष अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई, गुरुवार से आरंभ होगी और 9 अगस्त (सावन पूर्णिमा) को समाप्त होगी। कुल 38 दिन तक चलने वाली यह यात्रा न केवल भक्ति और आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक एकता और सनातन परंपरा का परिचायक भी है।
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3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में हर वर्ष प्राकृतिक रूप से हिम से शिवलिंग का निर्माण होता है, जिसे बाबा बर्फानी कहा जाता है। मान्यता है कि यहीं भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाई थी। इस कथा के श्रवण मात्र से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और भक्त मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं।
विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने स्पष्ट किया कि इस पवित्र यात्रा को कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि कुछ समय के लिए श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट आ सकती है, लेकिन यात्रा कभी नहीं रुकेगी। यह यात्रा आस्था, विश्वास और साहस का प्रतीक है।
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श्रद्धालुओं के लिए श्राइन बोर्ड द्वारा विशेष सुरक्षा और सुविधा योजनाएं लागू की गई हैं। साथ ही, पूरे सावन मास में शिव महोत्सव का आयोजन भी किया जाएगा, जिससे यात्रा का पवित्र वातावरण बना रहेगा।
अमरनाथ यात्रा कोई साधारण यात्रा नहीं, यह एक तपस्या, एक दर्शन और आत्मिक अनुभव है। इस यात्रा में शामिल होकर भक्त न केवल बाबा बर्फानी के दर्शन करते हैं, बल्कि जीवन की आध्यात्मिक दिशा भी प्राप्त करते हैं।