कैलाश पर्वत को हिंदू धर्म में भगवान शिव का निवास माना जाता है। हर वर्ष हजारों श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर यात्रा पर निकलते हैं। इस यात्रा में एक प्रमुख पड़ाव आता है — यम द्वार, जिसे तिब्बती भाषा में “तारबोचे” कहा जाता है। धार्मिक दृष्टि से यह स्थान अत्यंत पवित्र माना गया है और इससे जुड़ी कई रहस्यमयी मान्यताएं प्रचलित हैं।
यम द्वार का अर्थ है— मृत्यु के देवता यमराज का प्रवेश द्वार। मान्यता है कि कैलाश पर्वत की रक्षा स्वयं यमराज करते हैं। कैलाश परिक्रमा की शुरुआत इसी द्वार से होती है, इसलिए इसे आध्यात्मिक यात्रा का प्रवेश द्वार भी माना गया है।
यह द्वार कैलाश पर्वत की दक्षिण दिशा में स्थित है, जो कि यमराज की दिशा मानी जाती है। यहां एक ध्वज स्तंभ (flag pole) भी होता है, जिसे हर साल पूर्णिमा के दिन बदला जाता है। इस अवसर पर तिब्बती बौद्ध अनुयायी एक विशेष पूजा करते हैं और धार्मिक आयोजन संपन्न होता है।
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यम द्वार के रहस्य
यम द्वार से जुड़े कई रहस्यमयी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस स्थान पर रात बिताने का प्रयास करता है, उसकी रहस्यमयी मौत हो जाती है। अब तक विज्ञान भी इसका कोई ठोस कारण नहीं बता पाया है।
एक प्राचीन मान्यता है कि यम द्वार पार करते ही पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। ऐसा करना नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है। यही वजह है कि परिक्रमा आरंभ करने वाले श्रद्धालु इस नियम का कड़ाई से पालन करते हैं।
धार्मिक मान्यता और मोक्ष प्राप्ति
हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, यमराज मृत्यु के बाद आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार मार्ग प्रदान करते हैं। चित्रगुप्त, यमराज के सहायक, आत्मा के समस्त पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति मृत्यु से पूर्व यम द्वार पार कर कैलाश की परिक्रमा करता है, उसके सारे पाप क्षम्य हो जाते हैं और उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
यही कारण है कि श्रद्धालु यम द्वार को अत्यंत पवित्र और मोक्षदायी स्थल मानते हैं। यह द्वार सिर्फ एक भौगोलिक स्थान नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और परम मुक्ति का प्रतीक है।
कैलाश यात्रा 2025 अपडेट
2025 में जून के अंतिम सप्ताह से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने की संभावना है। श्रद्धालु इस अवसर का लाभ उठाकर यम द्वार से गुजरते हुए पवित्र परिक्रमा का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। ACNews एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।